चालान के पैसे नहीं होने पर अपनी जेब  से भर देते थे पैसे सब इंस्पेक्टर राकेश गौरा

चंबा। तीसा के तरवाई में वाहन दुर्घटना में मारे गए सब इंस्पेक्टर राकेश गौरा ने दो वर्ष पहले चंबा शहर का ट्रैफिक इंचार्ज बनकर सभी लोगों का दिल जीता था। वह पहले ऐसे ट्रैफिक इंचार्ज थे जोकि वाहन चालकों के चालान काटने पर गरीब व मजबूर चालक का चालान भी स्वयं भर देते थे। उनके मुख से कभी किसी के लिए अपशब्द नहीं निकले। नाके पर चालान काटते हुए यदि कोई ऐसा दो पहिया वाहन चालक टकर जाता। जिसके पास हेल्मेट न हो तो उसे अपनी जेब के पैसे खर्च करके हेल्मेट पहना देते थे। लोगों के प्रति उनका स्वभाव काफी सौहार्द भरा था। इसके चलते उनके हाथों जब भी किसी वाहन चालक का चालान होता, तो वह वाहन चालक उन्हें कभी नहीं कोसता था। क्योंकि उस चालक को पता होता था कि यदि ट्रैफिक इंचार्ज राकेश गौरा ने उनका चालान काटा है तो कहीं न कहीं उनकी गल्ती ही होगी। इसी स्वभाव के चलते ट्रैफिक पुलिस का आम जनता और वाहन चालकों के साथ विवाद नहीं हुआ। शहर से लेकर आस पास के ईलाकों में उन्होंने कभी यातायात व्यवस्था को पटरी से नीचे नहीं उतरने दिया। सुबह आठ बजे वह सड़क पर डयूटी पर तैनात हो जाते थे। और देर रात तक डयूटी पर डटे रहते थे। रात के समय यदि उन्हें कोई सड़क पर बुजुर्ग अकेला चलता हुआ दिखाई देता तो वह अपनी बाईक पर हेल्मेट पहनकर उस बुजुर्ग को उसके गंत्वय तक छोड़ने चले जाते। इसी स्वभाव को लेकर शहर का हरेक व्यक्ति उन्हें पसंद करता था। ऐसे में जब शुक्रवार को उनकी मौत की खबर शहर वासियों को मिली तो उनकी आंखे नम हो गई। हर कोई सोशल मीडिया पर उनकी फोटो डालकर उनकी पुरानी यादों को ताजा करके उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए नजर आया।

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