चंबा। कांग्रेस जहां चंबा में एकजुट होकर चुनाव प्रचार कर रही है। तो वहीं भाजपा में गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कुछ दिन पहले राज्यसभा सांसद के स्वागत समारोह में भाजपा के दो नेताओं में सार्वजनिक बहसबाजी लोगों में चर्चा का विषय बनी। उसको लेकर जब भाजपा संगठन की तरफ से भी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो इसको लेकर भी लोगों में पार्टी के प्रति बुरा प्रभाव देखने को मिला। इन सभी घटनाओं को देख यही लग रहा है कि भाजपा संगठन व नेताओं में आपसी तालमेल नहीं बैठ रहा है। कुर्सी को लेकर भी कार्यक्रमों में जद्दोजहद साफ दिखाई देती है। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस में इस प्रकार की कोई घटनाएं देखने को नहीं मिल रही है। इससे यही लग रहा है कि भाजपा गुटबाजी का शिकार हो रही है। जबकि कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव प्रचार कर रही है। चुनाव के उपरांत यदि भाजपा की हार हुई तो इसका ठिकरा भाजपा संगठन पर फूट सकता है। क्योंकि गुटबाजी को खत्म करवाना संगठन की जिम्मेदारी होती है। दूसरी तरफ कांगड़ा संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की लोकप्रियता भाजपा पर भारी पड़ सकती है। क्योंकि वह पहले भी राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनका नाम शामिल रहा है। ऐसे में जिला चंबा के अलावा प्रदेश के लोग उन्हें भली भांति पहचानते हैं। दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज शायद ही कोई चुनाव लड़े हों। हालांकि वह कोप्रेटिव बैंक के निदेशक के पद पर भी रह चुके हैं। लेकिन लोगों में लोकप्रियता की बात करें तो वह आनंद शर्मा से पीछे रह जाते हैं। राजनीति में जिन उंचे पदों पर आनंद शर्मा रहे हैं वहां पर भाजपा प्रत्याशी का नाम अभी तक शामिल नहीं है। ऐसे में चंबा के लोग भले ही भाजपा प्रत्याशी डॉ. राजीव भारद्वाज को नहीं पहचानते हों। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शर्मा के नाम को सभी लोग जानते हैं। जिसका लाभ उन्हें लोक सभा चुनाव में मिल सकता है। जैसे ही उनका नाम कांगड़ा संसदीय सीट से निकला तो कांग्रेस के सभी नेता एकजुट होकर उनके प्रचार में डट गए। जबकि चंबा में भाजपा में गुटबाजी देखने को मिल रही है। जिसका नुक्सान चुनाव में भाजपा को उठाना पड़ सकता है।