चंबा। जंगलों में टीडी के तहत कटे पेड़ों की जांच शुरू होने से कई वन कर्मचारियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं। क्योंकि विभागीय प्रारम्भिक जांच में टीडी के तहत मंजूर पेड़ों की बजाए बड़े देवदार के पेड़ों को काटे जाने की बात सामने आई है। जब वन मंडलाधिकारी चुराह ने एक गुमनाम अवैध कटान की शिकायत पर चिल्ली वन बीट में जाकर जांच शुरू की। जांच के दौरान उन्हें ताजे कटे हुए पेड़ तो नजर नहीं आए लेकिन जंगल के भीतर जाने पर उन्हें देवदार के पेड़ों के कई ठूंठ बरामद हुए। इनमें कई ठूंठों को आग लगाकर जलाने का भी प्रयास किया गया था। इसको लेकर जब उन्होंने गहनता से जांच की तो पाया कि पेड़ों का कटान टीडी के तहत गलत निशानदेही करके किया गया है। टीडी के तहत जो पेड़ काटने के लिए मंजूर किया गया था उसको काटने की बजाय बड़े देवदार के पेड़ को काट दिया गया। कटान में विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। इसलिए वन मंडलाधिकारी स्वयं इस मामले की जांच कर रहे हैं।
पेड़ की इमारती लकड़ी को कहां इस्तेमाल किया गया इसको लेकर भी जांच में खुलासा हो सकता है। टीडी धारक ने इस लकड़ी को अपना घर बनाने के लिए इस्तेमाल किया है या विभागीय कर्मचारियों के साथ मिलकर लकड़ी को बेचा तो नहीं। इसको लेकर विभागीय जांच शुरू होने के साथ संबंधित बीट के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। इसमें कई पेड़ काफी साल पहले टीडी के तहत काटे गए हैं जबकि कई पेड़ कुछ वर्ष पहले काटे गए हैं।
वन मंडल अधिकारी चुराह सुशील गुलेरिया ने बताया कि चिल्ली वन बीट में उन्हें अवैध कटान की गुमनाम शिकायत मिली थी। इसकी जांच करने के लिए वह स्वयं बीट पहुंचे। जब जंगल में गहनता से जांच की तो इसमें टीडी के तहत मंजूर पेड़ों के बजाय अन्य बड़े पेड़ों के काटने का मामला सामने आया। इसको लेकर उन्होंने जांच शुरू कर दी है। इसमें अगर जिन विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत होगी तो उनके खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।