खाने के स्टॉल लगाकर ऐतिहासिक चौगान की हरियाली की जा रही तबाह

 

चंबा (जिला ब्यूरो) । एतिहासिक चौगान की जिस हरियाली को बचाने के लिए जिला प्रशासन ने शहर के रेहड़ी धारकों और चौगान के बीच परदे की दीवार लगा दी थी। उसी जगह अब मिंजर के लिए खाने के बड़े-बड़े खाने के स्टॉल लगा दिए गए हैं। इससे वहां पर चौगान की हरियाली अब पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। जबकि प्रशासन ने जब मिंजर के टेंडर करवाए थे। उस दौरान चौगान नंबर दो में खाने के स्टॉल लगाने की बात कही गई थी। लेकिन चौगान खरीदने वाले ठेकेदार ने जहां दो नंबर चौगान में खाने के स्टॉल लगाए हैं। तो वहीं उसने चौगान नंबर एक में भी खाने के स्टॉल बना दिए हैं। इससे कुछ ही दिन में चौगान की हरियाली पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। क्योंकि खाने के स्टॉल में नमकीन पानी सहित अन्य नमक युक्त खाद्य पदार्थ गिरते रहते हैं। जोकि हरी घास के लिए काफी नुक्सानदायक होते हैं।

 

वर्ष 2013-14 में जब संदीप कदम उपायुक्त चंबा के पद पर आसीन थे। तब उन्होंने चौगान नंबर एक में खाने के स्टाल लगाने पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाई थी। उन्होंने हरी घास को होने वाले नुक्सान को लेकर कृषि विज्ञानिकों से परामर्श लिया। उस दौरान विज्ञानिकों ने बताया कि नमकीन पानी सहित अन्य नमक युक्त खादय पदार्थों के हरी घास पर गिरने से नुक्सान होता है। इससे हरी घास जड़ से ही खत्म हो जाती है। उस दौरान उन्होंने खाने के स्टाल दो नंबर चौगान में लगाने के निर्देश निकाले थे। उसके बाद से यह परंपरा जारी है। लेकिन ठेकेदार ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में चौगान नंबर एक में भी खाने के स्टाॅल लगा देते हैं। हैरानी इस बात की है कि प्रशासनिक अधिकारी सबकुछ देखने के उपरांत भी चुप बैठे हैं तो वहीं चंबा शहर के बुद्धिजीवी वर्ग भी इसको लेकर मौन धारण किए बैठे हैं। चौगान में जब कोई मोबाइल कंपनी अपना वाई फाई टावर लगाना चाहती है तो दस समाज सेवी व बुद्धीजीवी वर्ग विरोध करने के लिए खड़े हो जाते हैं। लेकिन मिंजर के दौरान चौगान की हरियाली को नुक्सान पहुंचाने वाले ठेकेदार के खिलाफ कोई भी अपनी आवाज बुलंद करने का प्रयास नहीं कर रहा है।
इनसेट

नागरिक उपमंडल अधिकारी चंबा अरूण शर्मा ने बताया कि चौगान नंबर एक में खाने के स्टॉल नहीं लगाए जाएंगे। ऐसा करने पर ठेकेदार के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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